भगवान विष्णु द्वारा देवताओं की रक्षा कथा

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भगवान विष्णु द्वारा देवताओं की रक्षा कथा :

भगवान विष्णु द्वारा देवताओं की रक्षा की कथा हिन्दू पुराणों में कई रूपों में मिलती है। प्रमुख कथा “देवों और दानवों के बीच समुद्र मंथन” (Samudra Manthan) की है, जिसमें भगवान विष्णु ने देवताओं की रक्षा के लिए अहम भूमिका निभाई।

यह कथा इस प्रकार है:

समुद्र मंथन की कथा

पृष्ठभूमि:
एक समय की बात है, देवता और दानवों के बीच युद्ध चल रहा था। देवता (देव) और दानव (असुर) दोनों ही भगवान ब्रह्मा से अमरता का वरदान प्राप्त करना चाहते थे। वे समझते थे कि यदि उन्हें अमरता का अमृत मिल जाए, तो वे अजेय हो जाएंगे। इसके लिए उन्होंने समुद्र मंथन का योजना बनाई, जिसमें देवता और दानव दोनों ने मिलकर समुद्र मंथन किया।

समुद्र मंथन की प्रक्रिया:
भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन की प्रक्रिया के लिए आरे और मंथन के लिए मन्दर पर्वत का उपयोग करने की सलाह दी। इसके बाद, देवता और दानव दोनों ने मिलकर मन्दर पर्वत को समुद्र में डुबो दिया और वासुकि नाग को मंथन के रस्सी के रूप में उपयोग किया।

जब मंथन शुरू हुआ, तो समुद्र से कई चीजें निकलीं, जिनमें अमृत (अमरता का अमृत) भी था। साथ ही, अन्य रत्नों और दिव्य वस्तुओं का भी उच्छेदन हुआ, जैसे चन्द्रमा, लक्ष्मी देवी, कल्पवृक्ष, हंस, और आभूषण

लेकिन सबसे प्रमुख वस्तु थी अमृत। जब देवता और दानव दोनों ने अमृत पर अधिकार करने के लिए संघर्ष किया, तो भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया। उन्होंने मोहिनी रूप धारण कर के दानवों को धोखा दिया और अमृत का वितरण केवल देवताओं के बीच किया, जिससे देवताओं को अमरता मिली।

भगवान विष्णु की भूमिका:

  1. मोहिनी अवतार:
    भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में दानवों को मूर्ख बना दिया। उन्होंने अमृत का वितरण किया और दानवों को इससे वंचित किया, जिससे देवता शक्तिशाली और अमर हो गए।

  2. देवताओं की रक्षा:
    भगवान विष्णु ने केवल अमृत ही नहीं, बल्कि देवताओं के लिए उनके शत्रु दानवों से भी रक्षा की। उन्होंने देवताओं को विश्वास दिलाया कि वे हमेशा उनकी मदद करेंगे और उन्हें कभी हारने नहीं देंगे।

  3. धर्म की स्थापना:
    भगवान विष्णु का यह कार्य केवल देवताओं की रक्षा के लिए नहीं था, बल्कि उन्होंने धर्म की स्थापना भी की। समुद्र मंथन में भगवान विष्णु ने यह सिद्ध कर दिया कि धर्म का पक्ष हमेशा विजयी होता है और अधर्म को कभी फल नहीं मिलता।

निष्कर्ष:

भगवान विष्णु ने अपनी लीला और मोहिनी रूप में दानवों से देवताओं की रक्षा की। समुद्र मंथन की कथा इस बात को दर्शाती है कि भगवान विष्णु हमेशा धर्म की रक्षा के लिए समय-समय पर अवतार लेते हैं। उनके द्वारा देवताओं की रक्षा और अधर्म के विनाश की कथाएँ हमें यह सिखाती हैं कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और अधर्म का नाश करते हैं।

यह कथा भगवान विष्णु की शक्ति और उनके भक्तों के प्रति प्रेम को व्यक्त करती है।

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