Shri Ram Chalisa | श्रीराम चालीसा

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श्री राम चालीसा

॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार॥

॥ चौपाई ॥
जय रघुनंदन जय घनश्यामा। जय जग विभु सुख धामा॥
जय कुसलायक प्रिय फलदाता। ज्ञान बिराग्य विधाता॥

राम चरित सुनि बेगि बिहाई। साजि सनेहु करहु अनुरागी॥
सुनि पावन चरित तुम्हारा। मिटहि कलेस सकल दुःख हमारा॥

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी॥
मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सो दास भय हारी॥

राम राम कहि जो जन निहारी। सो सुख संपति भाग्य अधिकारी॥
राम भजन रति जिनके मनमा। सो धन्य धन्य जगत भुवनमा॥

श्री राम जय राम जय जय राम। कोटिनाम तुलसी प्रिय नाम॥
राम से अधिक राम कर दासा। यह रहस्य जाने हनुमाना॥

राम सुमिर जो जन मन लाई। सो भुवन में सर्वसुख पाई॥
रामभक्ति गाइये संगा। जानि सरन जाके अभंगा॥

दोहा
राम चालीसा जो पढ़े, सुनि लहै फल चार।
सकल मनोरथ सिद्ध हो, पावै मोक्ष द्वार॥

॥ इति श्री राम चालीसा सम्पूर्ण ॥

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