Lord Vishnu | प्रह्लाद और भगवान नरसिंह की कथा

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प्रह्लाद और भगवान नरसिंह की कथा

 

प्रह्लाद और भगवान नरसिंह की कथा हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण और पौराणिक कथा का हिस्सा है, जो भगवान विष्णु के एक अवतार नरसिंह से संबंधित है। यह कथा विशेष रूप से भक्तिपंथियों द्वारा पूजित है और इसमें भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की भक्ति और भगवान नरसिंह के रूप में उनके द्वारा किए गए चमत्कारी अवतार की महिमा का वर्णन किया गया है।

कथा का विवरण:

प्रह्लाद का जन्म और भक्ति:

प्रह्लाद राजा हिरण्यकशिपु और रानी कयाधु के पुत्र थे। राजा हिरण्यकशिपु अत्यंत क्रूर और दुष्ट था, जो भगवान विष्णु के प्रति घृणा रखता था और चाहता था कि उसके राज्य में कोई भी भगवान विष्णु की पूजा न करे। वह स्वयं को ईश्वर मानता था और अपनी पूजा कराने की मांग करता था। लेकिन प्रह्लाद बचपन से ही भगवान विष्णु के परम भक्त थे।

प्रह्लाद ने विष्णु की भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया, और उन्होंने अपने पिता के आदेशों को नकारते हुए भगवान विष्णु की पूजा करना जारी रखा। वह दिन-रात केवल भगवान विष्णु के नाम का जाप करते रहते थे। इस पर हिरण्यकशिपु ने कई प्रकार से प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने अपनी शक्ति से प्रह्लाद की रक्षा की।

हिरण्यकशिपु का क्रोध और नरसिंह अवतार:

हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारा-मारा, जलाया, और अनेकों प्रकार से उसे सताया, लेकिन भगवान विष्णु के चमत्कारों से वह बचते गए। एक दिन हिरण्यकशिपु ने गुस्से में आकर कहा, “क्या तेरा भगवान कहीं है? क्या वह इस柱 (खंबे) में भी है?” प्रह्लाद ने उत्तर दिया, “हां, वह हर जगह हैं।”

हिरण्यकशिपु ने अपनी लाठी से उस柱 को मारा, और तभी उस柱 से भगवान नरसिंह अवतार में प्रकट हुए। भगवान नरसिंह, जो आधे मानव और आधे सिंह के रूप में थे, ने हिरण्यकशिपु को अपनी शक्तियों से वध किया। यह अवतार भगवान विष्णु का एक अद्वितीय रूप था, जो इस स्थिति में था कि न तो वह दिन था, न रात थी, न आकाश था, न पृथ्वी थी, न मनुष्य था, न पशु था—बल्कि नरसिंह रूप में एक अलग शक्ति का रूप था, जो पूरी तरह से एक अद्वितीय था।

प्रह्लाद की रक्षा:

जब भगवान नरसिंह ने हिरण्यकशिपु का वध किया, तब प्रह्लाद को अपने पिता की मृत्यु का कोई दुख नहीं हुआ। उन्होंने भगवान नरसिंह की भक्ति और उनके रूप की महिमा का गुणगान किया। भगवान नरसिंह ने प्रह्लाद को आशीर्वाद दिया और उन्हें बताया कि वह सच्चे भक्त हैं और हमेशा उनके साथ रहेंगे।

शिक्षा:

यह कथा भक्तिपंथ और श्रद्धा की महिमा को उजागर करती है। यह दिखाती है कि भगवान अपने सच्चे भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं, चाहे परिस्थिति जैसी भी हो। साथ ही, यह भी सिद्ध करती है कि बुराई और अहंकार का अंत निश्चित है और सत्य और भक्ति की विजय होती है।

निष्कर्ष:

प्रह्लाद और भगवान नरसिंह की कथा भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एक प्रेरणा है। यह कथा बताती है कि सच्ची भक्ति के आगे कोई भी शक्ति टिक नहीं सकती और भगवान अपने भक्तों की रक्षा हमेशा करते हैं। भगवान नरसिंह का अवतार बुराई के नाश और सत्य की विजय का प्रतीक है।

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