भाई दूज हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है, जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व दीपावली के ठीक दूसरे दिन, शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि यम द्वितीया (यमराज और यमुनाजी की कथा के कारण) और भाऊबीज (महाराष्ट्र में)।
भाई दूज का पौराणिक महत्व
भाई दूज का संबंध यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर आए थे और बहन ने उनका सत्कार किया, उन्हें तिलक लगाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन को यह वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।
भाई दूज का महत्व
भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है: यह पर्व भाई-बहन के अटूट रिश्ते को और अधिक प्रेमपूर्ण बनाता है।
सुरक्षा और समृद्धि की कामना: बहन अपने भाई की लंबी उम्र और सफलता के लिए प्रार्थना करती है।
सामाजिक सौहार्द का प्रतीक: यह पर्व परिवार में मेल-मिलाप और एकता को बढ़ावा देता है।
भाई दूज का पूजन विधि
भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। पूजा की विधि निम्नलिखित होती है:
पूजन सामग्री:
रोली (तिलक लगाने के लिए)
अक्षत (चावल)
फूल
मिठाई
दीपक
नारियल
कलावा (मौली)
पूजा की प्रक्रिया:
सबसे पहले बहनें अपने घर में पूजा का स्थान तैयार करती हैं।
भगवान गणेश और यमराज का ध्यान कर पूजा प्रारंभ की जाती है।
भाई को आसन पर बिठाकर तिलक (रोली और अक्षत) लगाया जाता है।
भाई को आरती उतारकर मिठाई खिलाई जाती है और उसकी लंबी उम्र की कामना की जाती है।
भाई अपनी बहन को उपहार देता है और दोनों एक-दूसरे के सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
भाई दूज का आधुनिक रूप
आजकल भाई दूज की परंपरा को और अधिक आकर्षक बना दिया गया है। भाई-बहन इस दिन मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, बाहर घूमने जाते हैं, गिफ्ट्स एक्सचेंज करते हैं और सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं भेजते हैं। जो भाई अपनी बहनों से दूर होते हैं, वे वीडियो कॉल या ऑनलाइन गिफ्ट्स भेजकर इस पर्व को खास बनाते हैं।
निष्कर्ष
भाई दूज सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते का उत्सव है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, भाई-बहन का प्रेम अमर और अटूट रहेगा। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और भाई बहन को आजीवन सुरक्षा और स्नेह का वचन देते हैं।