छठ पूजा भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता, उनकी पत्नी उषा देवी और उनके बेटे भगवान सूर्यपुत्र कांतिका की पूजा अर्चना के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व 4 दिनों तक चलता है और सूर्य देवता की उपासना का विशेष रूप से महत्व है।
छठ पूजा का महत्व:
छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता से जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना है। इसे प्रकृति पूजा भी कहा जाता है, क्योंकि यह सूर्य, पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि के प्रति आभार व्यक्त करता है। इस पूजा में महिलाएँ विशेष रूप से भाग लेती हैं और विभिन्न व्रतों और अनुष्ठानों का पालन करती हैं।
छठ पूजा की प्रक्रिया:
पहला दिन (नहाय-खाय): यह दिन परिवार के सभी सदस्य नदियों, तालाबों या जलाशयों में स्नान करने के बाद अपने घर में शुद्ध आहार का सेवन करते हैं। इस दिन भोजन में चावल, चने की दाल, लौकी की सब्जी और हलवा आदि शामिल होते हैं।
दूसरा दिन (खरना): इस दिन व्रति संतान सुख और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए दिनभर उपवासी रहते हैं और संतान के लिए अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं। शाम को व्रति खजूर, रोटियां, गुड़ और चावल की खीर से ‘खरना’ करते हैं। यह भोजन पूरी तरह से शुद्ध और बिना नमक के होता है।
तीसरा दिन (सांझ का अर्घ्य): इस दिन व्रति सूर्यास्त से पहले नदी या तालाब किनारे जाकर सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं। इस दिन विशेष पूजा सामग्री जैसे ताम्बूल, दीपक, फल, नारियल आदि की पूजा की जाती है। महिलाएं पूरी श्रद्धा से सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करती हैं और आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
चौथा दिन (सुबह का अर्घ्य): छठ पूजा का अंतिम दिन सूर्य देवता को सुबह के समय अर्घ्य अर्पित किया जाता है। यह पूजा सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस दिन सूर्य देवता से व्रति अपने परिवार की खुशहाली और दीर्घायु की कामना करते हैं।
छठ पूजा की विशेषताएँ:
इस पूजा में व्रति 36 घंटे का उपवासी रहते हैं।
कोई भी जीवित प्राणी (व्रति के दौरान) जल, फल और शुद्ध आहार के बिना इस पूजा को पूरा करते हैं।
यह पूजा सच्चे आस्थावान और संकल्पित मन से की जाती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
छठ पूजा को लेकर कई मान्यताएँ प्रचलित हैं, जिनमें यह विश्वास है कि सूर्य देवता से आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याएं दूर होती हैं।
समाप्ति और आशीर्वाद:
छठ पूजा के समापन के बाद, व्रति परिवार के साथ मिलकर पूजा के फल स्वरूप आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह पर्व सभी को एकजुट करने और परिवार के बीच प्रेम एवं सहयोग की भावना को बढ़ावा देने का कार्य करता है।