गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपुरब भी कहा जाता है, सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। यह सिख समुदाय के लिए सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों से समाज में नई रोशनी फैलाई थी।
गुरु नानक देव जी का जीवन और इतिहास
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी (अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब) में हुआ था। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद और अंधविश्वास का विरोध किया और “एक ओंकार”, “नाम जपो”, “कीरत करो”, “वंड छको” जैसे सिद्धांतों का प्रचार किया। उन्होंने भारत और अन्य देशों में यात्रा (उदासियाँ) कर अपने विचार फैलाए और लोगों को मानवता, समानता और सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी।
गुरु नानक जयंती कब मनाई जाती है?
गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नवंबर माह में पड़ती है। वर्ष 2024 में, यह त्योहार 15 नवंबर 2024 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा।
गुरु नानक जयंती का उत्सव और परंपराएं
गुरुपुरब सिख समुदाय द्वारा बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं:
अखंड पाठ: गुरु नानक जयंती से दो दिन पहले गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब जी का अखंड पाठ (48 घंटे का लगातार पाठ) किया जाता है।
नगर कीर्तन: इस दिन सुबह-सुबह नगर कीर्तन निकाला जाता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब जी को पालकी में सजाया जाता है और श्रद्धालु कीर्तन करते हुए नगर भ्रमण करते हैं।
गुरुद्वारों में कीर्तन: गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, कथा और अरदास का आयोजन किया जाता है।
लंगर सेवा: इस अवसर पर गुरुद्वारों में विशाल लंगर (भोजन सेवा) का आयोजन किया जाता है, जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों को मुफ्त भोजन परोसा जाता है।
दीप जलाना: इस दिन दीप जलाकर गुरुद्वारों और घरों को रोशनी से सजाया जाता है, जिससे यह पर्व और भी दिव्य लगता है।
गुरु नानक देव जी के प्रमुख उपदेश
गुरु नानक देव जी ने समाज को कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं, जिनका पालन आज भी सिख समुदाय करता है:
“एक ओंकार” – ईश्वर एक है और सभी के लिए समान है।
“नाम जपो” – सच्चे हृदय से ईश्वर का नाम जपना चाहिए।
“कीरत करो” – ईमानदारी से परिश्रम करके जीवन यापन करना चाहिए।
“वंड छको” – जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और भोजन व संसाधन साझा करने चाहिए।
“नारी का सम्मान” – महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना चाहिए।
निष्कर्ष
गुरु नानक जयंती सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि उनके महान विचारों और शिक्षाओं को याद करने का अवसर है। इस दिन लोग उनकी शिक्षाओं को अपनाने और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। यह पर्व हमें प्रेम, सद्भावना और समानता का संदेश देता है।