काली चालीसा
जय काली माँ, जय महाकाली,
शरण्य काली, शरण्य काली।
जय काली माँ, जय महाकाली,
शरण्य काली, शरण्य काली।।
काली माँ की महिमा अपरम्पार,
साक्षात परम शक्ति का रूप।
अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करें,
ज्ञान का प्रकाश फैलाएं।।
महाकाली रूप धारण करें,
शंकर से भी ऊपर हैं।
शमशान में बसी जो देवी,
वो शक्ति से ही पूरी होतीं हैं।।
रूद्र रूप में है काली माँ,
तंत्र-मंत्र की गुरु काली माँ।
दुर्गम से दुर्गम काम करो,
जीवन में हर कार्य सफल हो।।
यमराज से भी ऊँचा है इनका रौद्र रूप,
पापियों को यह करती हैं दूर।
काली के चरणों में बसा है सब कुछ,
भक्तों को कभी नहीं मिलता शोक।।
काली के रूप में ब्रह्मा ने देखा,
सृष्टि के सर्वश्रेष्ठ रूप को।
माता के चरणों में सब कुछ है,
यह शक्ति की देवी निराकार है।।
सभी रुद्र देवता को समर्पित करें,
सच्चे मन से जो भी करें।
कलियुग में भक्ति का यही रूप है,
काली माता का भव्य रूप है।।
जय काली माँ, जय महाकाली,
शरण्य काली, शरण्य काली।
जय काली माँ, जय महाकाली,
शरण्य काली, शरण्य काली।।