परिचय:कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे जन्माष्टमी भी कहा जाता है, भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। यह त्योहार विशेष रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है, लेकिन विश्वभर में श्री कृष्ण के अनुयायी इसे श्रद्धा और धूमधाम से मनाते हैं। यह त्योहार विशेष रूप से द्वारका में मनाया जाता है, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, लेकिन पूरे देश में इसके उत्सव का आयोजन होता है।
समय और तिथि: कृष्ण जन्माष्टमी हर साल श्री कृष्ण के जन्म तिथि के अनुसार मनाई जाती है, जो कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को पड़ती है। यह तिथि अगस्त या सितंबर माह में आती है। जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन रात्रि में कृष्ण जन्म का उत्सव होता है, और दूसरे दिन सुबह को ‘नंदनी व्रत’ और ‘ध्वजारोहण’ होता है।
उत्सव की विशेषताएँ:
रात्रि पूजा: कृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि को भक्त विशेष रूप से उपवास रखते हैं और कृष्ण के भजन, कीर्तन, और मंत्र जाप करते हैं। रात के मध्य में, जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म होता है, तब मंदिरों और घरों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
झाँकी और रासलीला: कृष्ण जन्माष्टमी पर विभिन्न स्थानों पर कृष्ण की बाल लीलाओं का आयोजन होता है, जिसमें बच्चों को भगवान श्री कृष्ण की तरह सजाया जाता है और रासलीला की जाती है। यह बहुत ही आनंदमय और रंगीन कार्यक्रम होते हैं।
हाथी, घोड़ा और बैल की पूजा: कई स्थानों पर, कृष्ण जन्माष्टमी के दिन, भगवान श्री कृष्ण के प्रिय पशुओं का पूजन भी किया जाता है। विशेषकर गायों और बैल को सजाकर पूजा की जाती है।
दही हांडी: कृष्ण जन्माष्टमी पर ‘दही हांडी’ का आयोजन भी विशेष रूप से होता है, जो कि विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर भारत में लोकप्रिय है। इसमें लोग एक बड़ी हांडी में दही और मिश्री डालकर उसे ऊंची जगह पर लटकाते हैं, और फिर युवक उसे तोड़ने के लिए एक-दूसरे पर चढ़ते हैं। यह खेल आनंद और उमंग से भरा होता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व: कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह जीवन में सुख, शांति, और प्रेम का संदेश भी देता है। भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कथाएँ और उनकी शिक्षाएँ हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। श्री कृष्ण ने अपने जीवन में धर्म, भक्ति, और निष्ठा का आदर्श प्रस्तुत किया और उन्होंने गीता में अपने उपदेशों के माध्यम से संसार को सही मार्ग दिखाया।
निष्कर्ष: कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और धार्मिक पर्व है, जिसे बड़ी श्रद्धा और जोश के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेम, भक्ति और धर्म के सिद्धांतों को भी समर्पित है।