Lord Shiva | गंगा को धरती पर लाने की कथा

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गंगा को धरती पर लाने की कथा

गंगा को धरती पर लाने की कथा हिंदू धर्म में अत्यंत प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण है। इस कथा का वर्णन मुख्य रूप से महाभारत, रामायण और पुराणों में मिलता है। इसे गंगा अवतरण या गंगा अवतरण की कथा कहा जाता है। इस कथा के अनुसार गंगा के धरती पर आने का कारण राजा भागीरथ का तप और गंगा की महिमा है।

कथा का संक्षिप्त विवरण:

गंगा, जो स्वर्ग में स्थित थी, को धरती पर लाने के लिए राजा भागीरथ ने कठिन तपस्या की थी। यह कथा इस प्रकार है:

1. गंगा का स्वर्ग में निवास:

गंगा को पहले स्वर्ग में रहने वाली एक अप्सरा के रूप में माना जाता था। वह भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति का एक भाग थीं। गंगा के पृथ्वी पर आने से पहले, वे ब्रह्मलोक में महर्षि कपिल के आश्रम के पास थीं।

2. राजा भागीरथ का जन्म:

राजा भागीरथ का जन्म राजा सगर के वंश में हुआ था। राजा सगर की 60,000 संताने थीं, जिनका एक बार महर्षि कश्यप के साथ घोर अपराध हुआ था। महर्षि कश्यप ने उन्हें श्राप दिया और वे सब नष्ट हो गए। राजा सगर ने अपने सारे प्रयास किए, लेकिन वह नहीं जान पाए कि उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति कैसे मिले।

3. भागीरथ की तपस्या:

राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए गंगा को धरती पर लाने का निश्चय किया। उन्होंने गंगा के पवित्र जल को धरती पर लाने के लिए घोर तपस्या शुरू की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और गंगा को धरती पर लाने का मार्ग प्रशस्त किया।

4. भगवान शिव का गंगा का पालन:

गंगा का धरती पर आना इतना सरल नहीं था। गंगा के पानी की इतनी तेज धारा थी कि यदि वह सीधे धरती पर गिरती, तो पूरी पृथ्वी नष्ट हो जाती। भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटा में समेट लिया ताकि वह धरती पर आए, लेकिन उनकी धारा नियंत्रित हो सके। इस प्रकार गंगा की तेज धारा भगवान शिव की जटा में समाहित हुई।

5. गंगा का पृथ्वी पर अवतरण:

भगवान शिव की जटा से गंगा धीरे-धीरे पृथ्वी पर आई। राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर अवतरण के समय उन जलों को अपने पूर्वजों के शवों पर डाला, जिससे वे सारे 60,000 पूर्वजों के आत्मा को शांति मिली और उनका उद्धार हुआ।

6. गंगा का नामकरण:

जब गंगा धरती पर आई, तो उन्हें भागीरथी कहा गया। उनका पवित्र जल सभी के लिए अमृत के समान बन गया। गंगा का प्रवाह पूरे भारत में हुआ और विभिन्न स्थानों पर उनकी महिमा फैली। गंगा का जल न केवल शारीरिक शुद्धि के लिए, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए भी माना गया।

इस तरह से गंगा ने राजा भागीरथ की तपस्या के फलस्वरूप पृथ्वी पर आकर उनके पूर्वजों को मोक्ष दिलाया और गंगा की पवित्रता का महत्व प्रकट हुआ। आज भी गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है और लाखों लोग उनके तटों पर स्नान करने और पूजा अर्चना करने के लिए जाते हैं।

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