कन्या पूजन हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथि को किया जाता है। यह पूजा माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित होती है और कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।
कन्या पूजन की विधि:
नौ कन्याओं और एक बालक को आमंत्रित करें – कन्याएं 2 से 10 वर्ष की होनी चाहिए।
स्वच्छ स्थान पर आसन बिछाकर कन्याओं को बैठाएं।
उनके चरण धोकर तिलक लगाएं और आरती करें।
भोग अर्पित करें – हलवा, चना और पूरी का प्रसाद दें।
उन्हें वस्त्र, उपहार, दक्षिणा दें और विदा करें।
ब्रह्मचारिणी देवी को स्मरण कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस पूजन से माता दुर्गा प्रसन्न होती हैं और साधक को सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
नवदुर्गा की कथा
नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। इन नौ देवियों की कथा इस प्रकार है:
1. माँ शैलपुत्री (पहला दिन)
माँ दुर्गा का यह प्रथम रूप हिमालय के राजा की पुत्री के रूप में हुआ। उनका वाहन वृषभ (बैल) है, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और शक्ति प्राप्त होती है।
2. माँ ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन)
यह स्वरूप घोर तपस्या करने वाली देवी का है। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इनकी पूजा से संयम, धैर्य और साधना की शक्ति मिलती है।
3. माँ चंद्रघंटा (तीसरा दिन)
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप सिंह पर सवार है और इनके मस्तक पर अर्धचंद्र है। यह स्वरूप भक्तों को साहस, शौर्य और भय से मुक्त करता है।
4. माँ कूष्मांडा (चौथा दिन)
इनका निवास सूर्यलोक में है और इन्हें आदिशक्ति का स्वरूप माना जाता है। इन्होंने अपनी हंसी से ब्रह्मांड की रचना की थी। इनकी पूजा से तेज, ऊर्जा और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
5. माँ स्कंदमाता (पाँचवां दिन)
भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के रूप में यह जानी जाती हैं। इनकी पूजा करने से संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि प्राप्त होती है।
6. माँ कात्यायनी (छठा दिन)
महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया, इसलिए इन्हें कात्यायनी कहा गया। यह स्वरूप विवाह और प्रेम में सफलता प्रदान करता है।
7. माँ कालरात्रि (सातवाँ दिन)
यह देवी का उग्र और भयावह स्वरूप है। इनका रंग काला है और यह भक्तों के सारे भय नष्ट करती हैं। इनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
8. माँ महागौरी (आठवाँ दिन)
इनका स्वरूप अत्यंत उज्ज्वल है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। इनकी पूजा से सारे पाप नष्ट होते हैं और मन पवित्र होता है।
9. माँ सिद्धिदात्री (नौवाँ दिन)
यह देवी सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं और भक्तों की समस्त इच्छाएँ पूरी करती हैं।
नवदुर्गा पूजा का महत्व
नवरात्रि में देवी की आराधना करने से जीवन में सफलता मिलती है।
घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
यह नौ दिन साधकों के लिए शक्ति, ज्ञान और भक्ति प्राप्त करने का अवसर होते हैं।
कन्या पूजन करने से माँ दुर्गा विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।