Navratri | नवरात्रि

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नवरात्रि (Navratri)

महीना: सितंबर-अक्टूबर

नवरात्रि, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो विशेष रूप से देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है – एक बार शरद ऋतु में (सितंबर-अक्टूबर) और दूसरी बार चैत्र माह में (मार्च-अप्रैल)। नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है “नौ रातें” और यह नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान, भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, और इसका उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति, शुद्धता और जीवन में खुशहाली प्राप्त करना है।

नवरात्रि के महत्व:

नवरात्रि का महत्व विशेष रूप से शक्ति की पूजा से जुड़ा है। यह दिन देवी के नौ रूपों की उपासना का समय होता है, जिन्हें “नवदुर्गा” के नाम से जाना जाता है। यह पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर, और बुराई से अच्छाई की ओर जाने का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान भक्त उपवासी रहते हैं, दिन-रात पूजा अर्चना करते हैं और विशेष रूप से साधना में लीन रहते हैं।

नवरात्रि की पूजा विधि:

नवरात्रि के पहले दिन से लेकर नौवें दिन तक भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इन रूपों का नाम है:

  1. शैलपुत्री – पहले दिन की पूजा
  2. ब्रह्मचारिणी – दूसरे दिन की पूजा
  3. चंद्रघंटा – तीसरे दिन की पूजा
  4. कुष्मांडा – चौथे दिन की पूजा
  5. स्कंदमाता – पांचवे दिन की पूजा
  6. कात्यायनी – छठे दिन की पूजा
  7. कालरात्रि – सातवें दिन की पूजा
  8. महागौरी – आठवे दिन की पूजा
  9. सिद्धिदात्री – नौवें दिन की पूजा

इन नौ दिनों के दौरान, भक्त विशेष मंत्रों का जाप करते हैं, हवन करते हैं, और उपवास रखते हैं। रात के समय में “आत्मशक्ति” और “शांति” की प्राप्ति के लिए जागरण और भजन भी होते हैं।

नवरात्रि के दौरान विशेष आयोजन:

  • गरबा और डांडिया: नवरात्रि का एक प्रमुख हिस्सा गुजरात में गरबा और डांडिया नृत्य होता है। यह सांस्कृतिक उत्सव होता है, जिसमें लोग एक साथ आकर नृत्य करते हैं।
  • व्रत और उपवासी: बहुत से भक्त इस समय उपवासी रहते हैं और सिर्फ फलाहार करते हैं। वे अपने मन, वचन और शरीर से देवी की पूजा में जुटे रहते हैं।
  • कुमारी पूजन: नौवें दिन विशेष रूप से कन्याओं (कुमारी) का पूजन किया जाता है। इसे “कुमारी पूजन” या “कन्या पूजन” कहा जाता है, जहां 9 या 10 कन्याओं को भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार दिया जाता है।

नवरात्रि और रक्षाबंधन:

नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से शक्ति पूजा से जुड़ा होने के साथ-साथ, रक्षाबंधन से भी जुड़ा होता है। इस दौरान रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन को तिलक करके राखी बांधते हैं और उसका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

समापन:

नवरात्रि का समापन विजयादशमी (दशहरा) के दिन होता है, जब रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।

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