
ओणम (Onam)
महीना : सितम्बर
ओणम केरल का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे प्रत्येक वर्ष भव्य रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने (अगस्त-सितंबर) में मनाया जाता है और मुख्य रूप से फसल उत्सव के रूप में प्रसिद्ध है। ओणम का सबसे महत्वपूर्ण दिन थिरुवोणम होता है, जो इस पर्व का मुख्य आकर्षण होता है।
ओणम की पौराणिक कथा
ओणम महोत्सव की उत्पत्ति राजा महाबली की कथा से जुड़ी हुई है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा महाबली एक पराक्रमी और दयालु असुर राजा थे, जिनके शासनकाल में सभी लोग खुशहाल और संतुष्ट थे। उनकी लोकप्रियता इतनी अधिक बढ़ गई कि देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और ब्राह्मण बालक के रूप में महाबली के दरबार में पहुंचे। वामन ने राजा महाबली से तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा ने दान देने का वचन दिया, लेकिन तभी वामन का आकार बढ़ने लगा। पहले पग में उन्होंने आकाश और दूसरे में संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया। जब तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा, तो राजा महाबली ने स्वयं को समर्पित कर दिया।
हालांकि, भगवान विष्णु ने राजा महाबली की भक्ति और दयालुता से प्रभावित होकर उन्हें हर वर्ष अपने राज्य में लौटने का वरदान दिया। इसी शुभ अवसर को केरलवासी ओणम के रूप में मनाते हैं, जब राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं।
ओणम पर्व की प्रमुख परंपराएं
पुक्कलम (फूलों की रंगोली) – ओणम के दौरान घरों के आंगन में रंग-बिरंगे फूलों से खूबसूरत रंगोली बनाई जाती है, जिसे पुक्कलम कहा जाता है। यह राजा महाबली के स्वागत का प्रतीक होता है।
ओणसद्या (विशेष भोज) – ओणम के अवसर पर पारंपरिक केरल व्यंजन बनाए जाते हैं, जिसे ओणसद्या कहा जाता है। इसमें केले के पत्ते पर परोसे जाने वाले 25 से अधिक व्यंजन शामिल होते हैं, जिनमें अवियल, साम्बार, पायसम, एलिसेरी, और थोरन प्रमुख हैं।
वल्लम काली (नौका दौड़) – केरल की प्रसिद्ध नौका दौड़ ओणम के अवसर पर आयोजित की जाती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इसमें सैकड़ों नाविक अपनी पारंपरिक स्नेक बोट (चुंडन वल्लम) पर सवार होकर प्रतियोगिता में भाग लेते हैं।
कथकली और अन्य नृत्य – ओणम के दौरान पारंपरिक नृत्य रूपों जैसे कथकली, पुलीकली (बाघ नृत्य), कुम्मट्टी कली और मोहिनीअट्टम का आयोजन किया जाता है। पुलीकली में कलाकार बाघ के रूप में सजकर नृत्य करते हैं, जो बच्चों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।
ओणम खेल और प्रतियोगिताएं – इस अवसर पर विभिन्न खेल-कूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिन्हें ओणकलिकल कहा जाता है। इसमें रस्साकशी, ऊंची कूद, कुश्ती और हाथी जुलूस भी शामिल होते हैं।
ओणम का आधुनिक स्वरूप
आज के समय में ओणम केवल केरल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भारत और विदेशों में बसे मलयाली समुदाय द्वारा भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। केरल सरकार इस अवसर पर विशेष पर्यटन कार्यक्रम आयोजित करती है, जिससे राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
निष्कर्ष
ओणम न केवल केरल के लोगों के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व है। यह त्योहार भाईचारे, प्रेम, समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। राजा महाबली की स्मृति में मनाया जाने वाला यह उत्सव हर किसी के जीवन में आनंद और खुशी लाने का संदेश देता है।